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About Video - अथ राग होरी | Ath Rag Hori | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
अथ राग होरी | Ath Rag Hori | Amargranth Sahib by Sant Rampal Ji Maharaj
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सुरति निरति से झीना। कछू नजर न आवै, पट्टन घाट परम पद पैड़ी, उतरैंगे प्रबीना।। टेक।।
शब्द महोदधि गरजत है रे, दिल दरिया दुरबीना। पाक महोबत लाय पुरुष से, साफ करो तन सीना।।1।।
कुंभक रेचक राम रसायन, उलटी पवन चढ़ीना। अर्थ धर्म और काम मोक्ष होंहि, कारज सकल सरीना।।2।।
जन्म जौहरी कै घर पाया, परख लाल रबीना। तीन लोक का राज दिया तो, सुरपति कहा कमीना।।3।।
गर्ब गुमान दूर कर बौरे, याह तो बात भली ना। अधीनी की राह पकड़ लेह, होय रह सब से हीना।।4।।
बड़े बड़ौं तो मूल गंवाया, छोटे भर्या करीना। कामधेनु काया के मांहीं, अमृत दुह कर पीना।।5।।
तन के योगी मन के भोगी, इन्द्री नहीं कसीना। सुरति निरति दरबार हंसनी, महलों नहीं धसीना।।6।।
जे सिर जाय सिरड़ नहीं दीजै, यौह पद अजर जरीना। सतगुरु सार वस्तु बतलावै, पारस लौह घसीना।।7।।
दर्दबंद दरवेश समझै है, मूर्ख खांहि कलीना। जिन्ह कूँ तो दीदार कहां है, आत्म बिरह जरी ना।।8।।
रूंम रूंम में द्वार देहरी, जैसे अंग पसीना। ऐसे ररंकार रट बौरे, ओम-सोहं सुमरिना।।9।।
मानसरोवर के जल न्हावो, छोड़ो मकर महीना। ब्रह्मा विष्णु शिव ख्वासी कर हैं, गरीबदास कह दीना।।10।।7।।
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गगन मंडल में गुमट है रंग होरी हो, सेत ध्वजा फर्राहीं राम रंग होरी हो।।
बुद्धि बाणी से अगम है रंग होरी हो, सुरति निरति जहां लाय राम रंग होरी हो।।1।।
नाभि कमल ब्रह्मा भये रंग होरी हो, सृजे विष्णु महेश राम रंग होरी हो।
त्रिगुण माया बिसतरी रंग होरी हो, किया सकल प्रवेश राम रंग होरी हो।।2।।
चंद सूर पानी पवन रंग होरी हो, कच्छ मच्छ कूरंभ राम रंग होरी हो।
ॐ मन्त्र औंकार है रंग होरी हो, रचे सकल आरंभ राम रंग होरी हो।।3।।
तीन गुणन पर तख्त है रंग होरी हो, पांच तत्त प्रकाश राम रंग होरी हो।
सुर नर मुनि जन देवता रंग होरी हो, लक्ष्मी, सावित्री और गौरी राम रंग होरी हो।।4।।
जन्म मरण जहान में रंग होरी हो, कोई न देख्या थीर राम रंग होरी हो।
सतपुरूष प्रवान है रंग होरी हो, कमलापति में भंवर राम रंग होरी हो।।5।।...
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मन राजा खेलन चल्या रंग होरी हो, त्रिबैनी के तीर राम रंग होरी हो।
पांच सखी नित संग हैं रंग होरी हो, बैठे पुरूष कबीर राम रंग होरी हो।।1।।
इला पिंगुला मध्य है रंग होरी हो, बीच सुषमना घाट राम रंग होरी हो।
शिव ब्रह्मा बिष्णु खेलहीं रंग होरी हो, सनकादिक जोहैं बाट राम रंग होरी हो।।2।।
शेष सहंसमुख गांवहीं रंग होरी हो, नारद पूरैं नाद राम रंग होरी हो।
हाथ अबीर गुलाल है रंग होरी हो, खेलत हैं सब साध राम रंग होरी हो।।3।।
इन्द्र कुबेर वरुण हैं रंग होरी हो, धर्मराय ध्यान धरंत राम रंग होरी हो।
चित्रगुप्त चितवन करैं रंग होरी हो, कोई न पावै अंत राम रंग होरी हो।।4।।
ध्रू प्रह्लाद जहां खेलहीं रंग होरी हो, नारद दिया उपदेश राम रंग होरी हो।
हाथ पिचकारी प्रेम की रंग होरी हो, खेलत हैं हमेश राम रंग होरी हो।।5।।
जनक विदेही खेलहीं रंग होरी हो, बावन गादी ब्यास राम रंग होरी हो।
सबन को परी भूल है रंग होरी हो, गगन मंडल में रास राम रंग होरी हो।।6।।
बिभीषण जहां खेलहीं रंग होरी हो, रूंमी ऋषि मारकंडे निरास राम रंग होरी हो।
बिष्वामित्र बशिष्ट बिसरे रंग होरी हो, खेलैं कागभुषंड राम रंग होरी हो।।7।।....
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मन राजा खेलन चल्या रंग होरी हो, प्रपट्टन की सैल राम रंग होरी हो।
पाँव न टिकैं पपील के रंग होरी हो, पंडित लादैं बैल राम रंग होरी हो।।1।।
जहां वहां महल कबीर का रंग होरी हो, राई ना ठहराय राम रंग होरी हो।
पानी पवन नहीं संचरैं रंग होरी हो, चंद सूरज नहीं जाहीं राम रंग होरी हो।।2।।
च्यार बेद पंडित पढ्या रंग होरी हो, बावन अक्षर लेख राम रंग होरी हो।
औह अक्षर या में नहीं रंग होरी हो, रहे षेष के शीश राम रंग होरी हो।।3।।
कागज कलम कलेष है रंग होरी हो, स्याही का नहीं काम राम रंग होरी हो।
देही माहीं बिदेह है रंग होरी हो, बिनहीं रसना नाम राम रंग होरी हो।।4।।
तारंग मंत्र लीजिये रंग होरी हो, ॐ-सोहं नाद राम रंग होरी हो।
सुकृत नाम उच्चार है रंग होरी हो, लीला अगम अगाध राम रंग होरी हो।।5।।
ॐ सोहं मध्य है रंग होरी हो, सूक्ष्म मंत्र पाय राम रंग होरी हो।
निर्गुण पद निर्बाण है रंग होरी हो, सुरति निरति धुनि लाय राम रंग होरी हो।।6।।
ॐ सोहं मध्य है रंग होरी हो, सूक्ष्म मंत्र छाक राम रंग होरी हो।
याह मन्त्र से पार होवै रंग होरी हो, और मंत्र कोट्यों लाख राम रंग होरी हो।।7।।
और सब मंत्र काल जाल है रंग होरी हो, जीव रहैं बेहाल राम रंग होरी हो।
ओम्-सोहं जाप कर रंग होरी हो, जन्म मरण मिट जाय राम रंग होरी हो।।8।।
ॐ आनंदी लहरि है रंग होरी हो, सोहं मुक्ता सिंध राम रंग होरी हो।
ॐ सोहं सार है रंग होरी हो, कोटि कला रविचंद राम रंग होरी हो।।9।।
ॐ सोहं पालड़ै रंग होरी हो, चौदह भवन चढ़ाय राम रंग होरी हो।
तीन लोक पासंग धरैं रंग होरी हो, तो नहीं तुलै तुलाय राम रंग होरी हो।।10।।.....
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